
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) घोटाले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने पूर्व आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री के उप सचिव सौम्या चौरसिया, एनजीओ संचालक मनोज कुमार और कथित बिचौलिया सूर्यकांत तिवारी की स्थायी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर और केस डायरी की सामग्री का अवलोकन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 7 और 12 के तहत दर्ज अपराध प्रथम दृष्टया स्थापित होते हैं। अदालत ने पाया कि मामला आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है और आरोपियों की भूमिका संदेह से परे नहीं है। इसी आधार पर नियमित जमानत देने से इनकार करते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
क्या है DMF घोटाला?
DMF यानी जिला खनिज न्यास मद के तहत कोरबा जिले में विकास कार्यों के नाम पर टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां सामने आईं। ईडी की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने आईपीसी की धारा 120B, 420 और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। जांच में सामने आया कि टेंडरों की राशि का 40% तक हिस्सा अधिकारियों को कमीशन के रूप में मिला। वहीं, निजी कंपनियों को अवैध फायदा पहुंचाकर 15-20% अतिरिक्त रकम भी वसूली गई।
ईडी की रिपोर्ट में पूर्व IAS रानू साहू सहित अन्य अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने और निजी लाभ के लिए सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। कोर्ट के ताजा फैसले से मामले में फंसे आरोपियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।