
रायगढ़ । ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में रेंगाली थाना अंतर्गत सरधा डेम में शुक्रवार को पिकनिक मनाने के लिए करीब 50 लोगों का एक समूह नाव से पत्थरसेनी मंदिर गया था। इसी बीच नाव नदी में डूब गई। इस नाव में करीब 20-25 लोग कोतरलिया के थे। यह घटना शाम करीब 4 बजे घटित हुई थी। सूचना मिलने के बाद झारसुगुड़ा एसपी, रेंगाली थाना प्रभारी सहित एक दर्जन से अधिक रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। देर शाम तक एक की डेड बॉडी मिली थी।
शनिवार को सुबह 6 बजे फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। गोताखोरों के साथ भुवनेश्वर से पहुंचे स्कूबा डाइवर्स की टीम ने सुबह 8.20 के करीब एक बच्चे पीकू राठिया उम्र 7 वर्ष का शव बरामद किया है। गोताखोरों ने दो और शव निकाले हैं, जिनमें एक महिला राधिका राठिया और एक बच्चे नवीन राठिया का भी शव शामिल है। वहीं एक महिला तेरसबाई राठिया, जो ग्राम अंजोरीपाली की हैं, साथ ही लक्ष्मीन राठिया और बालक कुणाल राठिया का भी शव मिला है। आज सुबह से अब तक 6 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं, सभी लोग ग्राम अंजोरीपाली और खरसिया के बताये जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले के कोतरलिया निवासी गंगाराम लोहर के यहां खरसिया से 50 लोग पहुंचे थे, जहां से सभी एक साथ ओडिशा के पंचगांव स्थित पत्थरसेनी मंदिर दर्शन करने के लिए निकले। वहां पहुंचने के बाद नाव में घूमने के दौरान बीच नदी में नाव पलट गई और उसमें सवार 70 लोग महानदी में समा गाए।
पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने की 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग
ओडिशा के सारधा डेम हादसे को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। नाव में डूबने से मौत के मामले को लेकर पूर्व मंत्री उमेश पटेल बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, 10-20 लोगों के बैठने वाली नाव में 50 लोग क्यों बिठाये गए। आरबीसी 6, 4 के तहत मिलने वाला चार लाख का मुआवजा नाकाफी है। मृतक के परिजनों को दस लाख और घायलों को दो लाख रुपये मुआवजे की मांग की है। नाव परिचालन के दौरान सुरक्षा नियमों की अनदेखी हुई है। साथ ही उन्होंने उड़ीसा सरकार से घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की।
लापरवाही पर आक्रोश
स्थानीय जानकारों की मानें तो इससे पहले भी इस तरह की एक घटना हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में इस घटना के बाद शासन ने नाव में लाइफ जैकेट सहित अन्य सुरक्षा उपकरण अनिवार्य कर दिया था, इसके बाद लापरवाही बरती गई। जिसके कारण अब घटना स्थल पर काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार जिस नाव पर वे लोग सवार थे, उन्हें नदी पार कराने या दर्शन कराने लेकर जाने की अनुमति न तो ग्राम पंचायत की ओर से दी गई थी और न ही जनपद पंचायत या किसी प्रशासनिक संस्था की ओर से। ऐसी स्थिति में यह भी एक बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आ रहा है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक वे लोग जिस नाव से मंदिर दर्शन करने के लिए जा रहे थे, वह मछली पकड़ने वाली सामान्य नाव थी। जिसमें लाइफ जैकेट सहित अन्य जीवन रक्षक उपकरण का अभाव था। वहीं एक नाव में क्षमता से अधिक लोगों को बैठाया गया था।