हरियाली तीज व हरतालिका तीज दोनों व्रत भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित हैं। सावन माह में शुक्ल पक्ष की तीज को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। इसके बाद भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज को हरतालिका तीज का त्योहार मनाते हैं। इन दोनों व्रतों में भगवान शिव व माता पार्वती का विधिवत पूजन किया जाता है। सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियां भी यह दोनों व्रत करती हैं।
हरियाली तीज व हरतालिका तीज में अंतर: हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव की तपस्या में कई जन्म बिताने के बाद उन्हें पति के रूप में स्वीकार किया था। मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करने से पति की आयु लंबी व वैवाहिक जीवन सुखद होने का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं और हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं।

हरतालिका तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर वन में तपस्या की थी। इसके साथ ही बालू का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत बिना अन्न व जल ग्रहण किए रखा जाता है।
हरियाली तीज व हरतालिका तीज कब है: इस साल हरियाली तीज 27 जुलाई को है, जबकि हरतालिका तीज 26 अगस्त को है।
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