नई दिल्ली :- भारत में आंख फड़कने को शुभ और अशुभ संकेत से जोड़कर देखा जाता है। कई बार लोगों को ये कहते सुना होगा कि आज दाईं या बाईं आंख फड़क रही है पता नहीं क्या अच्छा या बुरा होगा। ज्यादातर लोगों के बीच आंख फड़कने को लेकर ऐसी ही धारण है। लेकिन मेडिकल साइंस की दुनिया में कभी कभी कुछ देर के लिए आंख फड़कना सामान्य बात है। ऐसा पलक की मांसपेशियों में ऐंठन होने के कारण हो सकता है। अगर आपको लंबे समय तक आंख फड़कने की समस्या रहती है तो इसका कारण कोई बीमारी भी हो सकती है। जी हां आंख फड़कना गंभीर बीमारी का भी संकेत हो सकता है।
आंखों के फड़कने को मेडिकल भाषा में ‘Myokymia’ कहते हैं। ऐसी स्थिति में आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और वो फड़कने लगती हैं। सामान्य रूप से कई बार स्ट्रेस, आई स्ट्रेन या नींद कम आने के कारण या फिर ज्यादा एल्कोहल लेने की वजह से ऐसा हो सकता है। कई बार विजन से जुड़ी समस्याएं होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। जो लोग ज्यादा कैफीन लेते हैं उनके साथ ज्यादा हो सकता है। हालांकि इन वजहों से आंख फड़कती है तो ये कुछ देर बाद बंद भी हो जाती है। वहीं NIH में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो लगातर या कई दिनों तक आंख फड़कना किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। मेडिकल में आंख फड़कने के 3 कारण बताए गए हैं।

आंख फड़कना कौन सी बीमारी का लक्षण है..?
आईलिड मायोकेमिया- इस कंडीशन में कई बार आंख फड़कने लगती है। लेकिन काफी हल्की तरह से आंख फड़कती है। इसका कारण आपकी लाइफस्टाइल जैसे स्ट्रेस, आंखों में थकान, ज्यादा कैफीन, नींद पूरी न होना या फिर ज्यादा देर तक फोन और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना हो सकता है।
बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म :- ये आंखों की एक बीमारी है जिसमें आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। इसमें पलक बंद करने पर दर्द होता है। कई बार आंखों में सूजन आ जाती है और धुंधला दिखने लगता है। इससे आंख खोलना भी मुश्किल हो जाता है।
हेमीफेशियल स्पाज्म :- इस बीमारी में फेस का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है जिससे आंख पर प्रेशर पड़ता है। इसमें पहले आंख फिर गाल और फिर मुंह की मसल्स भी फड़कने लगती हैं। ऐसा नसों के सुन्न होने के कारण भी हो सकता है। लंबे समय तक ऐसा होने से डिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस, बैन पल्सी, सर्विकल डिस्टोनिया और पार्किन्सन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आंख फड़कने को कैसे बंद करें..?
इसके लिए जरूरी है कि आंखों को रिलेक्स दें। समय पर आई चेकअप करवाएं। ड्राई आई होने पर आंखों में आई ड्रॉप डालें। खाने में कैफीन कम करें और हरी सब्जिया, फल और हेल्दी चीजें ज्यादा शामिल करें। तनाव दूर करें और भरपूर नींद लें।
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