
One day on Earth will now be 25 hours instead of 24 :– 4.5 अरब साल पहले बनी थी पृथ्वीचांद की दूरी बढ़ने के साथ क्यों बढ़ता गया दिनफिर लगातार होने लगी दिन की लंबाई में बढोतरीये बात हैरान करने वाली तो है कि पृथ्वी पर दिन कभी इतना छोटा होता था कि इंसान कुछ ज्यादा कर ही नहीं सकता था. फिर अरबों सालों में दिन की लंबाई बढ़ते हुए 19 घंटे हुई और अब 24 घंटे है लेकिन अगर ये कहा जाए कि ये 25 घंटे हो जाएगी तो ये बिल्कुल सही है. हम आपको बताएंगे कब पृथ्वी का दिन सबसे छोटा होता था और ये कितने घंटे का था. फिर कैसे बढ़ा.भूवैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और पृथ्वी के घूमने की गति के कारण पृथ्वी के दिन की लंबाई में काफी बदलाव आया है. माना जाता है कि पृथ्वी 4.5 अरब साल पहले बनी.
परप्लेक्सिटी एआई का कहना है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब तो यहां जीवन था नहीं, वो यहां धीरे धीरे आया. तब दिन बहुत छोटा था. यानि मौजूदा दिन का 06 गुना छोटा.तब दिन था केवल इतने घंटे का अब हम आपको साफ साफ बता देते हैं कि दिन तब कितना लंबा था. ये केवल 4 घंटे का था. इतने में हम शायद सोच भी नहीं सकें कि जिंदगी कैसे जीते. तब चंद्रमा बहुत तेज घूमता था और पृथ्वी के काफी करीब भी था. ये उस समय केवल 14,000 मील दूर था, इसन पृथ्वी की कोणीय गति को काफी ज्यादा प्रभावित किया.एक जमाने में चंद्रमा बहुत पास था पृथ्वी के, तब दिन भी बहुत छोटा होता था, जैसे जैसे चांद दूर होता गया, दिन की लंबाई भी बढ़ती गई.
24 नहीं 25 घंटे का होगा 1 दिन, किस कारण से होगा यह ‘चमत्कार’साइंस का खेला! 24 नहीं 25 घंटे का होगा 1 दिन, किस कारण से होगा यह ‘चमत्कार’हर बार एस्टेरॉयड्स के खतरों से कैसे बच जाती है पृथ्वी? कौन करता है रक्षाहर बार एस्टेरॉयड्स के खतरों से कैसे बच जाती है पृथ्वी? कौन करता है रक्षाआग का गोला बनी धरती…24 घंटे भी नहीं टिक पाया सबसे गर्म दिन का रिकॉर्डआग का गोला बनी धरती…24 घंटे भी नहीं टिक पाया सबसे गर्म दिन का रिकॉर्डतब चंद्रमा था पृथ्वी के इतने करीबअब हम आपको बताते हैं कि अगर चंद्रमा केवल 14,000 मील दूर था तो ये दूरी कितनी होगी.
मिसाल के लिए मान लीजिए आप दिल्ली में हैं तो यहां से इन जगहों की दूरी पर निगाह दौड़ा लीजिएअमेरिका 8448 मील दूरइंडोनेशिया 2785 मील दूरपाकिस्तान 902 मील दूरमैक्सिको 9,388 मील दूरयानि अगर हम अमेरिका जाएं और वापस लौटें तो मोटे तौर पर ये दूरी 17,000 मील दूरी पर होगी. वैसे अब पृथ्वी से चांद की दूरी 238,855 मील हो चुकी है.फिर चंद्रमा की दूरी बढ़ने के साथ क्या हुआलेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा.
जैसे-जैसे चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर होता गया, दिन की लंबाई बढ़ती गई. जब पृथ्वी लगभग 30 मिलियन वर्ष पुरानी थी, तब दिन लगभग 6 घंटे का होता था. 60 मिलियन वर्षों में दिन 10 घंटे तक बढ़ गया था.– 1.7 अरब वर्ष पहले दिन करीब 21 घंटे लंबा होता था– मेसोज़ोइक युग (252 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान दिन करीब 23 घंटे लंबे होते थेधीमा हो रहा है पृथ्वी का घूमनामौजूदा समय में एक दिन 24 घंटे लंबा होता है लेकिन ये स्थिति भी बनी नहीं रहेगी.
वैसे अब पृथ्वी का घूमना धीरे – धीरे धीमा हो रहा है. इससे दिन हर सदी के साथ करीब 1.8 मिलीसेकेंड बढ़ रहा है. इसका मतलब यह है कि एक दिन की लंबाई में केवल एक मिनट जोड़ने में लगभग 3.3 मिलियन वर्ष लगेंगे. वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी की दिन की लंबाई में बदलाव उन गतिशील प्रक्रियाओं की वजह से होते हैं, जो हमारे ग्रह के घूमने और चंद्रमा के साथ उसके दूरी और संबंध को कंट्रोल करते हैं.
कब तक दिन हो जाएगा 25 घंटे काअब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का एक दिन लगभग 200 मिलियन वर्षों में 25 घंटे तक बढ़ सकता है क्योंकि चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है. विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के शोध से संकेत मिलता है कि दोनों निकायों के बीच गुरुत्वाकर्षण संबंधों के कारण चंद्रमा लगभग 3.8 सेंटीमीटर प्रति वर्ष पीछे हट रहा है.विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन मेयर्स इसे एक घूमते हुए फिगर स्केटर से तुलना करके समझाते हैं जो अपने हाथों को फैलाने पर धीमा हो जाता है.
यह प्रभाव अरबों वर्षों से पृथ्वी के घूर्णन को बदल रहा है.चांद पर एक दिन कितने घंटे काअब हम आपको ये भी बताते हैं कि चंद्रमा का एक दिन कितने घंटे का होता है. चांद का एक दिन पृथ्वी के करीब 28 दिनों के बराबर होता है.
यानि करीब 14 दिनों की रात और 14 दिनों का ही दिन.चांद जब अपनी कक्षा में 360 डिग्री घूमते हुए पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है, तो उसमें उसे 27.32 दिन लगते हैं. ऐसे में पहले एक हिस्सा काफी समय तक पृथ्वी की ओर होता है. फिर यही हाल चांद के दूसरे हिस्से का होता है.
पृथ्वी पर एक दिन चौबीस घंटे का होता है. उसमें 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है. वहीं चांद पर एक दिन करीब 14 दिन का होता है. रात भी इतनी लंबी होती है. लिहाजा चांद की सतह पर मौजूद वस्तुओं पर रात और दिन का बहुत असर होता है. रात में चांद का तापमान लगातार गिरता है. दिन में तापमान लगातार बढ़ता है.
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