अमलेश्वर। विगत दिनों अम्लेश्वर के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में मेघा पीटीएम के दौरान अमलेश्वर के इतिहास के बारे में कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा रौशनी रावत ने विस्तार पूर्वक अम्लेश्वर के इतिहास का वर्णन किया। उसके उद्बोधन से स्कूल के स्टाफ सहित जनप्रतिनिधि काफी प्रभावित हुए।
आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा रौशनी रावत ने बहुत ही सरल शब्दों में विस्तार पूर्वक अमलेश्वर के इतिहास का वर्णन किया। रोशनी रावत ने कहा कि किसी भी स्थान का नाम, उसकी ज़मीन से नहीं – उसके इतिहास आस्था और संस्कारों से बनता है।” और जब बात हो अमलेश्वर की तो सिर्फ एक नगर नहीं, बल्कि एक जीवित परंपरा है।

आज मैं आपको एक ऐसे शहर की कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसकी मिट्टी में इतिहास बसा है और जिसकी हवा में भक्ति बहती है, और वो शहर है हमारा अपना अमलेश्वर ।
अमलेश्वर ये सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और परंपरा का प्रतीक है। इसका नाम बना है दो शब्दों से “आंवला” और ईश्वर क्योंकि यहाँ भगवान शिव की पूजा आंवले के वृक्ष के नीचे की जाती थी।
यही स्थान बाद में प्रसिद्ध हुआ “अमलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के नाम से। आज भी ये मंदिर अम्लेश्वर की धार्मिक पहचान है जहाँ हर वर्ष सावन में हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजा पाठ के लिए आते है। अब बात करते हैं इतिहास की अमलेश्वर कभी दक्षिण कौशल राज्य का हिस्सा था। ऐसा माना जाता है की श्रीराम ने अपने वनवास के समय कुछ समय इस क्षेत्र में बिताया था। यहाँ के आसपास आज भी कई पुरातात्विक स्थल पाए जाते हैं, जिनसे ये साबित होता है कि ये क्षेत्र कभी सातवाहन और गुप्त वंश जैसी महान सभ्यताओं का हिस्सा रहा है। पुरानी कथाओं मे यह भी उल्लेख मिलता है कि अमलेश्वर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में कभी जनजातीय राजाओं का शासन था, जो बाद में मराठों के अधीन आए।
परंपराओ की बात करें तो आज भी यहाँ सुआ नृत्य, करमा गीत, हरेली जैसे त्यौहार पूरे उत्साह से मनाए जाते है। यहाँ की बोली और पहनावा हमें छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति से जोड़ते है। आज का अमलेश्वर केवल धार्मिक स्थान नहीं है बल्कि एक तेजी से उभरता हुआ नगर है यहाँ पर शिक्षा, स्वास्थ्य व्यापार और विकास के कई नए अवसर पैदा हो रहे है।
अंत में, मैं बस यही कहना चाहूँगी:’ “अतीत की जड़े जितनी गहरी हो” भविष्य उतना ही मजबूत होता है। रौशनी रावत ने सभी शिक्षिकाओं और जनप्रतिनिधियों का आभार प्रकट किया।
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