कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या की घटना के बाद शैक्षणिक परिसरों में महिला सुरक्षा का मुद्दा जोर-शोर से उठा था, लेकिन एक साल बाद भी तस्वीर खास नहीं बदली है। कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुई इस घटना के बाद डॉक्टरर्स समेत विभिन्न संगठनों ने महिला सुरक्षा और पीड़िता को न्याय देने की मांग में लंबे समय तक आंदोलन किया था।
इस मामले में एक सिविक वालंटियर संजय राय को घटना के बाद ही तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था। कोलकाता की एक अदालत ने उसे आजीवन कैद की सजा भी सुनाई थी।

इस घटना के खिलाफ लगातार बढ़ते विरोध और आंदोलन के बाद सीबीआई ने सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाने के ऑफिसर इंचार्ज अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन नब्बे दिनों के भीतर जांच एजेंसी के आरोपपत्र दायर करने में नाकाम रहने पर अदालत ने उनको जमानत दे दी।
आज इस रेप मर्डर केस को पूरे एक साल हो चुके हैं। कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने मामले की सही छानबीन और दोषियों को उचित दंड न देने के जुर्म में एक बार फिर रैली निकाली। डॉक्टर्स आज भी देश की न्यायपालिका से एक ही सवाल कर रहे कि आखिर पीड़िता को उचित न्याय कब तक मिलेगी?
इस हत्या के मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी बाद में सीबीआई को दे दी गई। लेकिन एक साल बाद भी CBI मामले की सही जांच नहीं कर पा रही। उसका कहना है कि इस पूरे मसले में गहरी साजिश रची गई है जिसे, सुलझाने में और वक्त लगेगा। और फिलहाल हालत यह है कि तय समय के भीतर इस मामले में पूरक आरोपपत्र तक दायर नहीं हो सकी है।
राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने यौन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए उसी समय विधानसभा में अपराजिता विधेयक पारित किया था, लेकिन उसे अब भी राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार है। आर. जी. कर की घटना ने कामकाजी जगहों पर रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर अहम सवाल भी उठाया था।
उसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बारे में एक ठोस नीति तैयार करने का निर्देश दिया था। अब करीब एक साल बाद गृह और श्रम मंत्रालय ने इसी सप्ताह इससे संबंधित एक मसौदे का अंतिम प्रारूप तैयार किया है।
घटना के इतने दिनों बाद भी पीड़िता का परिवार न्याय की गुहार में दर-ब-दर भटक रहा है। उनका दावा है कि इस घटना में एक से ज्यादा प्रभावशाली अभियुक्त शामिल थे। लेकिन पहले कोलकाता पुलिस और फिर बाद में सीबीआई ने भी जांच के नाम पर मामले में लीपापोती ही की। इसलिए एक बार फिर पीड़िता के परिवार ने न्याय की मांग करते हुए 9 अगस्त को नवान्न (सचिवालय) अभियान की अपील की है। इसके साथ ही कई लोग पिछले साल की तरह ही न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर धरने और रैली करने के लिए तैयार हैं।
About The Author


 
 
 
 
 




