
नई दिल्ली :- क्या आपको सुबह उठते ही सिर में दर्द और तेज दबाव महसूस होता है? या फिर आपकी दृष्टि धुंधली पड़ रही है, आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है? ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है. ये ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. आपको बता दें, ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी है. ज्यादातर मामलों में इसका इलाज संभव नहीं है. लेकिन अगर शुरुआती दौर में इसका पता चल जाए तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है और इलाज भी संभव हो सकता है. शुरुआत में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं होते हैं.
ब्रेन ट्यूमर का पता आमतौर पर एडवांस स्टेज में चलता है. ब्रेन में ट्यूमर होने पर कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं. जो ट्यूमर के आकार, स्थान और गति पर निर्भर करते हैं. कुछ सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, दृष्टि संबंधी समस्या, बोलने में दिक्कत और संतुलन बनाने में दिक्कत शामिल हैं. अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत जांच करानी चाहिए. डॉक्टर दवाओं और कुछ दूसरे इलाजों के जरिए इसकी वृद्धि को रोक सकते हैं. जरूरत पड़ने पर ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी भी की जा सकती है.
ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार होते हैं :-
पीजीआई के न्यूरो सर्जन डॉ. कमलेश सिंह भैसोड़ा ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के मामले में सबसे पहले सिरदर्द शुरू होता है. इसके साथ ही ध्यान केंद्रित करने में भी कठिनाई होती है. सिरदर्द माइग्रेन, साइनस दर्द, आंखों में दर्द या तनाव जैसा महसूस हो सकता है. यह सिरदर्द अधिकतर सुबह के समय होता है.
ब्रेन ट्यूमर होने पर बार-बार खांसी हो सकती है. लगातार थकान जैसा महसूस हो सकता है. इसके साथ ही उल्टी, धुंधला या दोहरा दिखाई देना, बोलने और सुनने में कठिनाई, स्मृति क्षीण होना और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
निगलने में कठिनाई, शरीर का संतुलन खोना ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा बेहोशी भी आ सकती है. असामान्य गंध या स्वाद की अनुभूति, चिड़चिड़ापन और अत्यधिक गुस्सा भी इसके लक्षण हो सकते हैं. पेट में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, सुन्नता, झुनझुनी, जलन और झुनझुनी जैसी अनुभूति हो सकती है.
ब्रेन ट्यूमर होने पर दौरे आना, दिमाग का ठीक से काम न करना, दोहरा या धुंधला दिखना. याद रखने में कठिनाई होना. बोलने में कठिनाई होना. हाथ, पैर और शरीर का एक तरफ का हिस्सा कमजोर होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं. बता दें, ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, बच्चों सहित, हालांकि यह वृद्धों में अधिक आम है. अधिकांश ब्रेन ट्यूमर का कारण अज्ञात है, लेकिन ऐसे कई रिस्क फैक्टर्स हैं जो मस्तिष्क ट्यूमर डेवलप होने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.
रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं :-
उम्र :- उम्र के साथ ब्रेन ट्यूमर होने का जोखिम बढ़ जाता है (अधिकांश ब्रेन ट्यूमर 85 से 89 वर्ष की आयु के वयस्कों में होते हैं), हालांकि कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर बच्चों में अधिक आम हैं
रेडिएशन :- रेडिएशन के संपर्क में आने से मस्तिष्क ट्यूमर की बहुत कम संख्या होती है. कुछ प्रकार के मस्तिष्क ट्यूमर उन लोगों में अधिक आम हैं जिन्होंने रेडियोथेरेपी कराई है , या बहुत कम ही, सीटी स्कैन या सिर के एक्स-रे कराए हैं.
पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिक स्थितियां – कुछ आनुवंशिक स्थितियां मस्तिष्क ट्यूमर होने के खतरे को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें ट्यूबरस स्क्लेरोसिस , न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 , न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 और टर्नर सिंड्रोम शामिल है.
क्या करें जानें :-
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत जांच करवा लेनी चाहिए. डॉक्टर से सलाह लें और स्थिति स्पष्ट करें. डॉक्टर आपके सिर का एमआरआई या सीटी स्कैन करवाने की सलाह भी दे सकते हैं. शुरुआती दौर में ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव हैय डॉक्टर दवाओं से इसके बढ़ने को रोक सकते हैं. इलाज के लिए कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्रेन ट्यूमर के इलाज में जितनी देरी होगी, ठीक होने की संभावना उतनी ही कम होगी. इसलिए शुरुआती लक्षण दिखते ही जांच करवा लेनी चाहिए. इस मामले में लापरवाही न बरतें.
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