
डॉ दीपक जयसवाल को उनके गृह जिले का प्रभारी सिविल सर्जन बनाकर इनाम दिया गया है। वरीयता सूची में काफी निचले पायदान वाले चिकित्सक को पुनः सिविल सर्जन का प्रभार देना यही साबित करता है। साथ ही वरीयता क्रम के खिलाफ जूनियर डॉक्टर्स को प्रभार देने वाले चिकित्सक के खिलाफ आंदोलन को लीड करने वालों का ट्रांसफर कर के सजा दिया गया है।
शासन प्रशासन का बहुत साफ संदेश है कि न प्रमोशन होगा,न सीनियरिटी का फॉलो किया जाएगा और न ही भर्ती नियम बनाया जाएगा।
अगर कोई संगठन आवाज उठाएगा,तो दमनकारी नीति अपनाई जाएगी,लीड करने वालों को टारगेट किया जाएगा और संगठनों के प्रभाव को पूरी तरह खत्म किया जाएगा…
स्वास्थ्य विभाग में प्रमोशन,भर्ती नियम,अन्य सभी मांगों के लिए और साथ ही संगठनों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए मैं तो फिर भी लडूंगा और लड़ता रहूंगा..
मेरा ट्रांसफर इस बात का सुबूत है कि शासन प्रशासन से मैं हमेशा खुल के बिना डरे बिना झुके लड़ा हूं,इस बार भी लड़ा..
डरा तो शासन प्रशासन है,सिर्फ एक जिले का आंदोलन देखकर।ये देख के और अभी अच्छा लगा। शासन प्रशासन को संगठन का खौफ रहना ही चाहिए…सोचने वाली बात ये है कि पूरा राज्य प्रमोशन और अपनी डिमांड के लिए आंदोलन करेगा,तो कितना ज्यादा इंपैक्ट पड़ेगा।
प्रमोशन के लिए,अपनी मांगों के लिए,प्रशासनिक तानाशाही के खिलाफ और संगठन के अस्तित्व के लिए,अति के खिलाफ आवाज उठाने के लिए..ये लड़ाई जारी है..
प्रमोशन और अपनी सभी मांगों के लिए जिला स्तरीय आंदोलन अब राज्य स्तर पर ले जाया जाएगा।
मेरा साथ कौन कौन देगा..गूगल मीटिंग में बता दीजियेगा या तो मेरा भ्रम टूटेगा कि राज्य के डॉक्टर्स मेरे साथ खड़े हैं या शासन का भ्रम टूटेगा कि संगठनों का अस्तित्व खत्म किया जा सकता है। किसी एक का भ्रम तो टूटना तय है।