डोंगरगढ़ :- घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच बसा डोंगरगढ़ एक बार फिर नवरात्र महोत्सव के लिए तैयार है. चैत्र नवरात्र 30 मार्च से 6 अप्रैल तक रहेगा, यानी इस बार नवरात्र 8 दिनों का होगा और इस दौरान लाखों श्रद्धालु मां बमलेश्वरी के दर्शन के लिए यहां पहुंचेंगे. पर्व की भव्यता को देखते हुए मंदिर ट्रस्ट, जिला प्रशासन, रेलवे और सुरक्षा एजेंसियां व्यापक इंतजाम कर रही हैं. मंदिर परिसर को भव्य रोशनी रंगबिरंगी झालरों और फूलों से सजाया गया है. दर्शनार्थियों के लिए रोपवे सेवा केवल दिन में उपलब्ध रहेगी, जिसका किराया ₹100 (आना-जाना) और ₹70 (सिर्फ एकतरफा) तय किया गया है. सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करने के लिए इस बार 1200 पुलिस जवानों की तैनाती की गई है.


डोंगरगढ़ का पौराणिक महत्व :-
मां बमलेश्वरी का यह मंदिर हजारों वर्षों से आस्था का केंद्र है. इसे लेकर दो प्रमुख पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं…..
पहली कथा राजा कामसेन से जुड़ी है, जिनकी घनघोर तपस्या से प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी यहां प्रकट हुईं. राजा ने माता से विनती की कि वे पहाड़ों से नीचे भी विराजें ताकि सभी भक्त आसानी से उनकी आराधना कर सकें. माता ने राजा की भक्ति स्वीकार की और एक रूप में पहाड़ी पर बड़ी बमलेश्वरी और दूसरे रूप में समतल भूमि पर छोटी बमलेश्वरी के रूप में स्थापित हो गईं. समय के साथ उनका नाम बमलेश्वरी पड़ गया.
दूसरी कथा राजा विक्रमादित्य से जुड़ी है. कहा जाता है कि डोंगरगढ़ के राजा कामसेन के दरबार में संगीतकार माधवनल और नर्तकी कामकंदला प्रेम में पड़ गए. प्रेम प्रसंग का राज खुलने पर माधवनल को राज्य से निष्कासित कर दिया गया. उसने उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से शरण ली, जिन्होंने कामसेन पर आक्रमण कर दिया. भयंकर युद्ध के बाद विक्रमादित्य विजयी हुए, लेकिन जब उन्होंने प्रेम की सच्चाई परखनी चाही, तो कामकंदला ने तालाब में कूदकर जान दे दी, और यह जानकर माधवनल की भी मृत्यु हो गई. इससे विक्रमादित्य व्यथित हो गए और उन्होंने माँ की तपस्या की. माँ बमलेश्वरी प्रसन्न हुईं और दोनों प्रेमियों को पुनर्जीवन दिया. तभी से यह स्थान प्रेम, आस्था और शक्ति का केंद्र बना हुआ है.
विशेष अनुष्ठान और आयोजन :-
पहाड़ के ऊपर स्थित माता के मंदिर में 7500 दीप और नीचे मंदिर में 900 आस्था के दीप जलाए जाएंगे. जिसकी राशि छोटी माता मंदिर में 2100 रुपए और बड़ी माता मंदिर में 1100 रुपए जमा कर श्रद्धालु मंदिर में दीपक जला सकते हैं. मंदिर में केवल तेल का दीपक जलाया जाता है, घी के दिये जलाने पर रोक लगाई गई है.” मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा पूरे नवरात्र शतचंडी महायज्ञ और दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया जाएगा. अष्टमी को हवन और पूर्णाहुति, जबकि नवमीं को ज्योति विसर्जन किया जाएगा.
नवरात्र में डोंगरगढ़ के लिए स्पेशल ट्रेनें :-
रेलवे विभाग ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष ट्रेनों और अतिरिक्त स्टॉपेज की व्यवस्था की है. श्रद्धालुओं के लिए पानी, विश्राम गृह, और पेयजल जैसी सुविधाएं सीढ़ियों पर उपलब्ध रहेंगी. मां बमलेश्वरी के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था ही है कि हर साल भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कहते हैं, यहां मांगी गई मुरादें मां तुरंत पूरी कर देती हैं, और यही इस धाम को और भी खास बनाता है.
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