नई दिल्ली :- मधुमेह एक ऐसी समस्या है. जिससे कई लोग परेशान रहते हैं. इस महामारी से प्रभावित लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. हमारे खान-पान और जीवनशैली के कारण यह मधुमेह रोग होता है. लेकिन डॉक्टर और वैज्ञानिक इस शुगर की बीमारी को कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में नई दवाएं और उपचार उपलब्ध कराये जा रहे हैं. वहीं डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का भी सहारा लिया जाता है. इसी संदर्भ में हमारे देश में मधुमेह के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक औषधीय पौधे की पहचान की गई है. इसका नाम है गुड़मार पौधा है.


ब्रह्मयोनी पहाड़ी औषधीय पौधों गुड़मार की भरमार :-
बिहार के गया में ब्रह्मयोनी पहाड़ी है, इस पहाड़ी पर ब्लड शुगर लेवल को कम करने वाले औषधीय पौधों गुड़मार की भरमार है. बता दें, गुड़मार में पाये जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में ब्लड शुगर को घटाने की अनोखी क्षमता होती है. इस पौधे का इस्तेमाल सीएसआईआर की दवा-34 में भी हो रहा है. यह अनुसंधान मगध यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है.
पहाड़ी प्राकृतिक उपचारों का खजाना :-
शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद पहले ही एंटी डायबिटिक दवा BGR-34 विकसित करने के लिए गुड़मार का उपयोग कर चुकी है. एमिल फार्मा के जरिए बाजार में आई यह दवा सफल भी रही है. बता दें, गुड़मार ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक है. यह पहाड़ी प्राकृतिक उपचारों का खजाना है, जिस पर पारंपरिक चिकित्सक सदियों से विविध औषधीय जड़ी-बूटियों के लिए भरोसा करते रहे हैं.
खेती में स्थानीय लोगों को शामिल किए जाने की पहल :-
गया की ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले कुछ औषधीय पौधों पर एथ्नोबोटैनिकल रिसर्च नामक इस अध्ययन में, इस बात पर जोर दिया गया है कि पहाड़ी पर मौजूद सबसे अधिक उपयोग में आने वाले औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके. पहाड़ी पर पाए जाने वाले औषधीय गुणों वाले अन्य पौधे ‘पिथेसेलोबियम डुल्स और ज़िज़िफस जुजुबा है तथा इन पर अनुसंधान अब भी जारी है.
गुड़मार में पाया जाता है जिमनेमिक एसिड :-
इस अध्ययन का लक्ष्य स्थानीय लोगों द्वारा चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने वाले पौधों को एकत्र करना और उनकी पहचान करना था. इसके साथ ही औषधीय आधारित पारंपरिक चिकित्सा के बारे में सूचनाओं का प्रलेख तैयार करना था. अध्ययन में कहा गया है कि पारंपरिक उपचार विशेषज्ञता को संरक्षित करने के लिए प्रयुक्त पौधों की प्रजातियों की उचित रिकॉर्डिंग और पहचान आवश्यक है. यह अध्ययन ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रीएटिव रिसर्च थॉउट्स में हाल में प्रकाशित हुआ था. उसके अनुसार गुड़मार जिमनेमिक एसिड की उपस्थिति के कारण ब्लड शुगर लेवल घटाने की अनोखी क्षमता के लिए जाना जाता है. हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थौट्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गुड़मार में पाये जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में ब्लड शुगर लेवल को घटाने की अनोखी क्षमता होती है. जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है. जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है. इसमें कहा गया है कि गुड़मार का पौधा हाल ही में बीजीआर-34 दवा के महत्वपूर्ण घटकों में से एक के रूप में प्रकाश में आया है. सीएसआईआर द्वारा विकसित इस दवा को एमिल फार्मा ने बाजार में उतारा जोकि मधुमेह के साथ-साथ ‘लिपिड प्रोफाइल’ को भी नियंत्रित करने में सक्षम है.
मोटापा कम करने में भी असरदार :-
नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने वर्ष 2022 में एक अध्ययन में यह भी पुष्टि की है कि बीजीआर-34 रक्त शर्करा के साथ साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है. शरीर के उपापचय तंत्र में भी सुधार करती है. एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि बीजीआर-34 में गुड़मार के साथ साथ दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मजीठ व मैथिका औषधियां भी शामिल हैं. यह मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है.
गुड़मार पर और भी गहन शोध करने की जरूरत :-
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं की लोकप्रियता में वृद्धि देखी जा रही है, जिसका कारण जीवनशैली में परिवर्तन से जुड़ी गैर-संचारी बीमारियों का बढ़ता प्रचलन और निवारक स्वास्थ्य पर जोर दिया जाना है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कहा है कि बीजीआर-34 की तरह मधुमेह की पहली दवा मेटफॉर्मिन भी एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी है. इसलिए गुड़मार पर और भी गहन शोध किए जाएं ताकि नई पीढ़ी को एक और प्रभावी चिकित्सा विकल्प उपलब्ध हो सके.
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